Rumored Buzz on shiv chalisa lyricsl
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धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥
भजन: शिव शंकर को जिसने पूजा उसका ही उद्धार हुआ
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट ते मोहि आन उबारो॥
अर्थ- माता मैनावंती की दुलारी अर्थात माता पार्वती जी आपके बांये अंग में हैं, उनकी छवि भी अलग से मन को हर्षित करती है, तात्पर्य है कि आपकी पत्नी के रुप Shiv chaisa में माता पार्वती भी पूजनीय हैं। आपके हाथों में त्रिशूल आपकी छवि को और भी आकर्षक बनाता है। आपने हमेशा शत्रुओं का नाश किया है।
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
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